अमेरिकन स्कूल ऑफ बॉम्बे के प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ी ओम हेमदेव अपने असाधारण
कौशल आर रणनीतिक चालों के कारण शतरंज की दुनिया में काफी सुर्खियां बटोर रहे है |
उन्होंने काफी छोटी उम्र में ही शतरंज के लिए अपने जुनून को खोज लिया था और तब ही से
उन्होंने इस खेल में खुद को समर्पित कर दिया है | अब वो SMCA के अपने कोच दुर्गा नागेश
गुटुला के मार्गदर्शन के साथ कई रणनीतियों का अध्ययन करते है |
ओम का खेल की तरफ है अनोखा दृष्टिकोण
अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के परिणामस्वरूप ओम अब तेजी से रैंकों के माध्यम से भारत में सबसे होनहार शतरंज खिलाड़ियों में से एक बन गए है | जो बात ओम को बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाती है वो है उनका गेम की तरफ अनोखा दृष्टिकोण , उनके पास सोचने की और किसी भी स्थिति में अनुकूल होने की अविश्वसनीय क्षमता है जिससे वो शतरंज खेलते वक्त एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी बन जाते है | उनके विश्लेषणात्मक कौशल और खेल की सहज समझ ने उन्हें अपने साथी खिलाड़ियों के बीच भी काफी सम्मान और प्रशंसा दिलाई है |
कई खिलाड़ियों के लिए है ओम रोल मॉडल
ओम की माँ रेशमा छाबड़िया अपने बेटे की उपलब्धियों से काफी खुश है और वो उसकी सफलता का श्रेय खेल के प्रति उसके जुनून के साथ-साथ उसे एक बेहतरीन शतरंज खिलाड़ी के रूप में तैयार करने में उसके कोच के प्रयासों को देती है , उसकी हाल ही की उपलब्धियां भी काफी प्रभावशाली है |
ओम ने दुबई और Zurich में बैक-टू-बैक टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेटिड खिलाड़ी बनने के रास्ते में दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के शतरंज खिलाड़ियों को हराया है | वो मुंबई के शतरंज खिलाड़ियों के लिए अच्छे रोल मॉडल भी है जो उन्हें अपने सपनों का पीछा करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करते है | ओम इस वक्त UK और USA की शतरंज चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे है और वो आगे जा कर निस्संदेह अपनी छाप छोड़ना जारी रखेंगे और मुंबई के शतरंज संस्कृति को और भी अधिक पहचान दिलाएंगे |